क्या महिलाएं पितरों का पिंडदान कर सकती है?
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मान्यताओं के अनुसार पिंडदान करने से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। इससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वजह से किया जाना जरूरी माना जाता है।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पुत्र को पिंडदान करने का पहला अधिकार होता है। पुत्र न होने पर घर के अन्य सदस्य या रिश्तेदार भी पिंडदान कर सकते हैं।
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गरुड़ पुराण के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को बेटा नहीं है, तो ऐसे में घर की महिला पिंडदान या श्राद्ध कर्म कर सकती है।
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अगर किसी के घर में पुत्र है, लेकिन वह उस समय वहां किसी कारणवश मौजूद नहीं है। तो ऐसे में महिला को पिंडदान करने का अधिकार है।
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मान्यताओं के अनुसार महिलाओं में सबसे पहले माता सीता ने पिंडदान किया था। क्योंकि भगवान राम और लक्ष्मण को आने में देरी हो गई थी।
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पिंडदान करने के लिए सफेद वस्त्र धारण किए जाते हैं। इसके बाद जौ के आटे से पिंड बनाए जाते हैं। इसके बाद पितरों की हल्दी,चावल, चंदन, दही से पूजा की जाती है।
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माना जाता है कि पिंडदान की विधि करने के बाद पिंड को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में पिंडदान से जुड़ी जानकारी के बारे में बताया गया है।
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