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पीएफ निकालना होगा आसान, सरकार के नए प्रस्ताव से 7 करोड़ PF धारकों को मिलेगा लाभ

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Posted On:Wednesday, September 24, 2025

भारत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नियमों में बड़ा बदलाव लाने पर विचार कर रही है, जिससे करोड़ों अंशधारकों को अपनी बचत का उपयोग करने में अधिक आज़ादी मिल सकती है। मौजूदा नियमों के तहत ईपीएफ खाते से पैसा निकालने की प्रक्रिया सीमित परिस्थितियों में ही संभव है, लेकिन सरकार की योजना इन नियमों को अधिक लचीला बनाने की है।

मौजूदा नियम क्या कहते हैं?

वर्तमान में ईपीएफओ सदस्य केवल दो प्रमुख परिस्थितियों में अपनी पूरी राशि निकाल सकते हैं –

  1. रिटायरमेंट के बाद, या

  2. दो महीने से अधिक बेरोजगारी की स्थिति में।

इसके अलावा, आंशिक निकासी कुछ विशिष्ट कारणों से की जा सकती है, जैसे:

  • विवाह: कम से कम सात वर्षों की सेवा के बाद, सदस्य अपने कुल योगदान और उस पर अर्जित ब्याज का 50% तक निकाल सकते हैं। यह स्वयं, भाई-बहन या बच्चों के विवाह के लिए मान्य है।

  • आवास: घर की खरीद या निर्माण के लिए, सदस्य कुल राशि का 90% तक निकाल सकते हैं, बशर्ते उन्होंने कम से कम तीन साल की सेवा पूरी की हो और संपत्ति उनके या उनके जीवनसाथी के नाम हो।

  • शिक्षा: बच्चों की मैट्रिक के बाद की पढ़ाई के लिए भी 50% तक निकासी की अनुमति है, लेकिन इसके लिए कम से कम सात वर्षों की सेवा आवश्यक है।

प्रस्तावित बदलाव क्या हो सकते हैं?

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार एक ऐसे ढांचे पर काम कर रही है, जिसमें हर 10 साल में एक बार ईपीएफओ अंशधारकों को अपनी पूरी राशि या उसका एक हिस्सा निकालने की अनुमति मिल सकती है। यह बदलाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो बार-बार आर्थिक संकटों का सामना करते हैं, जैसे कि निम्न या मध्यम आय वर्ग के कर्मचारी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हर 10 साल में अंशधारकों की जमा राशि में एक उल्लेखनीय वृद्धि होती है। ऐसे में उन्हें यह अधिकार दिया जाना चाहिए कि वे खुद तय कर सकें कि उस धन का क्या करना है।”

इससे ईपीएफओ सदस्य अपने जीवन की बड़ी जरूरतों — जैसे मेडिकल इमरजेंसी, बच्चों की उच्च शिक्षा, व्यापार में निवेश, या अन्य आकस्मिक आवश्यकताओं — के लिए अपनी जमा पूंजी का उपयोग कर पाएंगे।

सरकार का तर्क

सरकार का मानना है कि यह पैसा कर्मचारियों का अपना है, इसलिए उन्हें यह स्वतंत्रता मिलनी चाहिए कि वे इसे अपनी जरूरतों के अनुसार प्रबंधित कर सकें। यह दृष्टिकोण अंशधारकों की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देगा और वित्तीय लचीलापन प्रदान करेगा।

निष्कर्ष

भारत में ईपीएफओ के रजिस्टर्ड सदस्यों की संख्या वर्ष 2023-24 में 73.7 मिलियन (7.37 करोड़) तक पहुंच गई है और जुलाई 2025 में ही 21 लाख नए सदस्य जुड़े हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए, यह बदलाव एक सकारात्मक कदम हो सकता है। यदि प्रस्तावित नियम लागू होते हैं, तो यह न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की मदद करेगा, बल्कि उन्हें अपने पैसे पर बेहतर नियंत्रण भी देगा।


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