दिल्ली के वसंत कुंज स्थित श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट में स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर लगे गंभीर आरोप ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बाबा के खिलाफ संस्थान के प्रबंधन द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसके बाद वे पुलिस की तलाश में हैं। आरोपों में लगभग 30 से अधिक छात्राओं और महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने और उन्हें धमकाने की बात कही गई है। इस मामले में न केवल बाबा, बल्कि तीन महिला कर्मचारियों का भी नाम सामने आया है, जिनमें एक एसोसिएट डीन भी शामिल हैं। इन महिलाओं पर आरोप है कि उन्होंने छात्राओं को यौन संबंधों के लिए मजबूर किया और शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया।
आरोपों का पर्दाफाश
यह मामला एक पूर्व छात्र द्वारा लिखे गए पत्र और भारतीय वायुसेना के एक ग्रुप कैप्टन द्वारा संस्थान को भेजे गए ईमेल के जरिए सामने आया। इन दस्तावेजों में चैतन्यानंद और संबंधित महिला कर्मचारियों की भूमिका उजागर की गई। FIR में दर्ज 32 छात्राओं के बयान इस कदर चिंताजनक हैं कि उनमें से अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की हैं, जिनके पास बाबा की मांगों को ठुकराने का कोई विकल्प नहीं था। इसके अलावा, बताया गया है कि बाबा और उनके सहयोगियों ने कई छात्राओं की डिग्री भी रोक रखी थी, जिससे वे मानसिक और सामाजिक दबाव में आ गईं।
छात्राओं की आपबीती
एक 21 वर्षीय छात्रा ने बताया कि जब वे बाबा से मिलीं तो उनकी पहली नजर ने ही उन्हें असहज कर दिया। बाबा ने उन्हें मैसेज भेजना शुरू किया, जिसमें कई बार प्रेमपूर्ण लेकिन अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया गया। जब छात्रा ने इस बारे में एसोसिएट डीन को बताया तो उन्हें बताया गया कि बाबा हेड हैं, इसलिए जवाब देना पड़ेगा। छात्रा के अनुसार, जब उन्होंने विरोध किया तो उनके अटेंडेंस में मनमाने नंबर काटे गए और मार्च 2025 में बाबा ने ऋषिकेश-हरिद्वार पूजा यात्रा के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं।
दबाव और धमकियाँ
छात्रा ने आगे बताया कि वापस लौटने के बाद संस्थान के तीन लोगों ने उन्हें बाबा के साथ हुई चैट डिलीट करने को कहा। बाद में उन्होंने ऑफिस में बुलाकर उन्हें ‘बेबी’ कहने लगे। जब छात्रा ने मना किया तो उन्होंने उनका वीडियो रिकॉर्ड किया और उसे धमकी के तौर पर भेजा। यह सब इस बात का संकेत है कि संस्थान में एक बड़े पैमाने पर मानसिक और यौन उत्पीड़न का जाल बिछा हुआ है।
अन्य आरोप और पुलिस कार्रवाई
बाबा पर केवल यौन उत्पीड़न के आरोप ही नहीं हैं, बल्कि उन पर नकली राजनयिक नंबर प्लेट वाली वोल्वो कार का इस्तेमाल करने का भी आरोप है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में चैतन्यानंद के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी कर दिया है। संस्थान से नौ नकली राजनयिक नंबर प्लेटें भी बरामद की गई हैं, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष
यह मामला न केवल एक संस्थान की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि समाज में शक्ति के गलत इस्तेमाल और यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक बड़ी चेतावनी भी है। ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग अक्सर इस तरह की असुरक्षा और उत्पीड़न का शिकार होते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुलिस जांच निष्पक्ष और कड़ी होगी, ताकि दोषियों को उचित सजा मिल सके। साथ ही, संस्थान और समाज को इस प्रकार की घटनाओं से बचाव के लिए सख्त नियम और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई भी इस प्रकार की स्थिति का सामना न करे।