भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में हुई G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेते हुए कुछ बेहद तीखे और विचारोत्तेजक बयान दिए। उन्होंने सीधे तौर पर किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके निशाने पर स्पष्ट रूप से अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रहे।
जयशंकर ने कहा कि दोहरे मापदंडों (Double Standards) को अपनाकर वैश्विक शांति और विकास की उम्मीद करना मूल रूप से एक भ्रम है। उनका बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने हाल ही में भारत के कुछ उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिए हैं और रूस से तेल खरीदने को लेकर आर्थिक दबाव बनाने की नीति अपनाई है।
जयशंकर का अमेरिका पर निशाना
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा:
"शांति और विकास को एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक माना जाना चाहिए। अगर कोई देश दूसरे की आर्थिक प्रगति को बाधित करता है, तो वह वास्तव में शांति के लिए भी खतरा पैदा करता है।"
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले से ही अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। ऐसे में ऊर्जा और व्यापार आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना किसी के हित में नहीं है।
रूस से तेल खरीद पर अमेरिका का ऐतराज
जयशंकर का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका ने भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर अप्रसन्नता जताई थी। अमेरिका ने इसके जवाब में कुछ भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगा दिए। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं, और इसके लिए रूस पर दबाव डालना जरूरी है।
हालांकि, भारत का रुख अलग है। जयशंकर ने कहा:
"हम शांति के पक्षधर हैं, लेकिन वह संवाद और कूटनीति से ही संभव है, न कि आर्थिक दबाव बनाकर।"
भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर अडिग रुख
जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत किसी बाहरी दबाव में आकर अपने हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि भारत की नीति हमेशा स्वतंत्र और संतुलित रही है। रूस से तेल खरीदना भारत की ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है, जिसे कोई भी बाहरी देश नियंत्रित नहीं कर सकता।
ट्रंप की नीतियों की आलोचना
हालांकि जयशंकर ने ट्रंप का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट संकेत दिए कि अमेरिका की नीतियां आक्रामक और आत्म-केंद्रित हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा यूक्रेन संकट के समाधान के नाम पर भारत पर दबाव बनाना अनुचित है।
उन्होंने कहा:
"दूसरे देशों के द्विपक्षीय संबंधों में हस्तक्षेप करना और उन्हें तोड़ने की कोशिश करना एक खतरनाक प्रवृत्ति है।"
निष्कर्ष
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का यह बयान भारत की सशक्त विदेश नीति और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि भारत कूटनीति और संवाद में विश्वास रखता है, लेकिन आर्थिक दमन के सामने झुकेगा नहीं।
अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रंप को भी यह समझना होगा कि वैश्विक नेतृत्व सिर्फ सैन्य शक्ति या टैरिफ थोपने से नहीं, बल्कि साझेदारी और आपसी सम्मान से हासिल किया जा सकता है। 🌍🇮🇳