पिछले कुछ महीनों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक टैरिफ नीतियों और अंतरराष्ट्रीय मामलों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। लेकिन अब मामला सिर्फ बयानों और बैठकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिका के अंदर से ही युद्ध जैसी स्थिति की आशंकाएं उठने लगी हैं।
जहां एक तरफ ट्रंप खुद को शांति का पक्षधर बताते हैं और दावा करते हैं कि उन्होंने दुनिया के 8 बड़े युद्ध रोकने में भूमिका निभाई, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी सेना में असामान्य गतिविधियां सामने आ रही हैं, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।
ट्रंप की शांति की पहल
राष्ट्रपति ट्रंप कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि यदि दुनिया उनकी बात माने तो रूस-यूक्रेन और इज़राइल-हमास जैसे युद्ध कुछ ही दिनों में बंद हो सकते हैं। हाल ही में उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को अमेरिका बुलाकर शांति वार्ता की पेशकश की थी।
उन्होंने दावा किया कि वो दुनिया को एक बार फिर स्थिरता और शांति की ओर ले जा सकते हैं। ट्रंप के अनुसार, उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार बड़े टकराव को टालकर युद्धों को रोका है।
पेंटागन की हलचल से फैली चिंता
हालांकि, अब खबरें आ रही हैं कि अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) में कुछ असामान्य गतिविधियां हो रही हैं। एक प्रमुख पेंटागन संवाददाता के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी सेना किसी बड़े युद्ध की तैयारी कर रही है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने अचानक सैकड़ों जनरल्स और एडमिरल्स को अगले हफ्ते वर्जीनिया स्थित मरीन कॉर्प्स बेस पर तत्काल एकत्रित होने का आदेश दिया है। आश्चर्य की बात यह है कि इस बैठक का कोई आधिकारिक कारण सामने नहीं आया है।
क्या अमेरिका युद्ध की तैयारी में है?
बैठक की अचानकता और गोपनीयता ने अटकलों को जन्म दे दिया है कि अमेरिका किसी संभावित वैश्विक संघर्ष की तैयारियों में जुट गया है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम या तो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव, या फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के विस्तार को लेकर उठाया गया है।
कुछ विश्लेषकों ने यह भी कहा है कि अमेरिका शायद किसी नई सैन्य रणनीति को लागू करने जा रहा है या फिर यह एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन का हिस्सा हो सकता है।
ट्रंप के बयान और सरकारी गतिविधियों में विरोधाभास?
एक ओर जहां ट्रंप खुद को शांति के प्रतीक के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं उनके ही प्रशासन के अधीन पेंटागन की यह गतिविधि विरोधाभासी नजर आती है। इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं:
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क्या ट्रंप की शांति की पहल केवल राजनीतिक बयानबाज़ी है?
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क्या अमेरिका वास्तव में युद्ध की तैयारी कर रहा है?
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और अगर हां, तो किसके खिलाफ?
निष्कर्ष
फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन एक बात तय है — अमेरिका में हलचल बढ़ चुकी है। ट्रंप के बयानों और पेंटागन की गतिविधियों के बीच तालमेल की कमी साफ दिख रही है। दुनिया भर की नजरें अब अमेरिका पर टिकी हैं, कि क्या वह शांति का मार्ग चुनेगा या टकराव की राह पर आगे बढ़ेगा।