डाणी समूह ने आज 'ग्रीन टॉक्स 2025' का चौथा संस्करण बड़े उत्साह और जोश के साथ आयोजित किया। यह कार्यक्रम नवाचार, सामाजिक उद्यमिता और हरित भविष्य की दिशा में भारत के प्रयासों को रेखांकित करता है। इस वर्ष के आयोजन में पांच अग्रणी सामाजिक उद्यमियों और नवप्रवर्तकों ने अपने प्रेरणादायक जीवन-संघर्ष, विचारों और सामाजिक प्रभाव की कहानियां साझा कीं।
कार्यक्रम की शुरुआत डाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने युवाओं से भारत के "दूसरे स्वतंत्रता संग्राम" का हिस्सा बनने का आह्वान किया। इस संघर्ष का उद्देश्य विदेशी शासन से मुक्ति नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी, नवाचार और सामाजिक समानता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण है। उन्होंने कहा, “ग्रीन टॉक्स संभावनाओं की कहानी है, मिट्टी को चीरकर निकलने वाली वो हरी कोंपल, जो स्वतंत्रता और आशा का नया अध्याय लिखती है। यही भारत के दूसरे स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है।”
युवाओं और इंटरप्रेन्योरशिप पर ज़ोर
गौतम अडाणी ने विशेष रूप से भारत के युवाओं और नवाचारशील इंटरप्रेन्योर्स की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष समाज में जड़ता, असमानता और उदासीनता को दूर करने का है — और इसका समाधान तकनीकी नवाचार और सामाजिक उद्यमिता में निहित है।
उन्होंने बताया कि केवल चार वर्षों में ग्रीन टॉक्स ऐसा मंच बन चुका है जो समाज को बदलने वाले विचारों और प्रयासों का गढ़ बन गया है। जेनरोबोटिक्स, नावाल्ट, और मारुत ड्रोन जैसी कंपनियों के उदाहरण देते हुए उन्होंने दिखाया कि कैसे तकनीक के ज़रिए वास्तविक सामाजिक बदलाव संभव है — जैसे मैन्युअल स्केवेंजिंग से मुक्ति, सौर-इलेक्ट्रिक फेरी और महिला सशक्तिकरण के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग।
प्रेरणादायक उद्यमियों की कहानियाँ
इस वर्ष के ग्रीन टॉक्स में पांच प्रमुख सामाजिक उद्यमियों ने अपनी यात्रा साझा की:
-
अभिषेक छाजेड (रीसाइक्लेक्स): हरित निर्माण सामग्री के माध्यम से इमारतों को कार्बन मुक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
-
अक्षिता सचदेवा और बोनी दवे (ट्रेसल लैब्स): 'किबो' नामक प्लेटफॉर्म के ज़रिए दृष्टिबाधित लोगों को सशक्त बना रहे हैं।
-
मनोज शंकर (निमोकेयर वेलनेस): नवजात और मातृ स्वास्थ्य के लिए किफायती मेडिकल डिवाइसेज विकसित कर रहे हैं।
-
जेनिल गांधी और मनन व्यास (अविन्या लेदर): पौधों से बने वीगन, क्रूरता-मुक्त लेदर का विकास कर रहे हैं।
-
सौम्या बालेंदिरन (सी6 एनर्जी): समुद्री शैवाल की खेती कर जैव ईंधन, बायोप्लास्टिक और जैविक उर्वरक बना रही हैं।
निष्कर्ष
‘ग्रीन टॉक्स 2025’ ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि जब युवा, नवाचार और समाज कल्याण एक साथ आते हैं, तो परिवर्तन निश्चित होता है। डाणी समूह का यह प्रयास न केवल स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत के तकनीकी और सामाजिक आत्मनिर्भरता के सपने को भी साकार करता है।